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सब्बीर का अहसान जहा वालो भुलाना
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Haseeb Khan , ,,,,,,, ,,, ,,,,,,,,,, , ,, ,,, ,,,, , ,,,, ,
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सब्बीर का एहसान जहा वालो भुलाना………2
आसान नही है आसान नही है आसान नही है
दिन ए नबी के वास्ते सर अपना कटाना ||
आसान नही है आसान नही है आसान नही है………2 जो दुसमानाने दिन के नार्गे में है हुसैन. वतील का वॉर सर पे है सजदे में है हुसैन…….2
बे खाओप होके ऐसे में क़ुरआन सुनाना। “|| आसान नही है आसान नही है आसान नही है……. ||
सब्बीर का एहसान जहा वालो भुलाना आसान नही है
हक वाले है हक बात से पीछे न हटेंगे
बातिल के हाथ मे कभी बैयत न करेंगे ||
यह शेर की औलाद है सर इनका झुकना
आसान नही है आसान नही है आसान नही है। ||
अहले वफ़ा ने बांध लिया सर पे जब कफन……..2
अपने लहू से सीच दिया दिन का चमन ……….2
इसलाम की बका के लिए खून बहना आसान नही है। ||
रग रग में मेरी सिब्ते पयम्बर का खून है
वह शेर ए खुदा फतह खैबर का खून है…………२
अकबर ने यह दुश्मन से कहा मुझ को हराना
आसान नही है आसान नही है आसान नही है आसान नही है
सब्बीर ने क्या था जो वादा निभा दिया…..2
सारा घराना राहे खुदा में लुटा दिया…..2
नाना के दिन के लिए घर बार लुटाना आसान नही है
आसान नही है आसान नही है आसान नही है
सब्बीर का एहसान जहा वालो भूलाना आसान नही है
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